Saturday 8 February 2020

मोनु दुबे ,कहानी जंगलोके भविष्यकी !




















"आप कहाँ से आये हो, उससे कहीं अधिक यह महत्वपूर्ण है कि आपको कहाँ पहुँचना हैं" ... कोबे ब्रायंट

मैं एक सुपरस्टार बास्केटबॉल खिलाड़ी और एक महान खिलाड़ी को इससे बेहतर श्रद्धांजलि किस तरहदे सकता हूं की उसके  उपरलिखित लबजोसे मेरी शेअरिंग की शुरुवात करू! इस प्रेरक व्यक्तित्व ने न केवल अपने खेल के द्वारा, बल्कि जीवन के बारे में अपने दृष्टिकोण के द्वारा भी दुनिया भर के लाखों युवा बच्चों को प्रोत्साहित किया है। कोबे के बारे में कहा जाता है कि भले ही उसे खेल की तयारी भी करनी  हो तो भीवह कोर्ट (बास्केटबॉल के मैदान पर) पर सबसे पहले आता था और सबके बाद वापिस जाता था, इसलिए वह महान था! आज मैंने जिस नौजवान के बारे में लेख लिखा है वह हो सकता है कोबे के जितना प्रसिद्ध न हो, लेकिन ऐसा कुछ है क्या कि केवल वही व्यक्ति महान है जिसने नाम, प्रसिद्धि या धन हासिल किया है? बेशक नही, बल्की  हर छोटे से छोटे काम या प्रदर्शन जो आपको महसूस करा सकता है कि आप महान हैं वो ही मायने रखता है, है ना?

अब मैं आपकी जिज्ञासा को बहुत अधिक नहीबढ़ाऊंगा, मैंने ऊपर जिस युवक का उल्लेख किया है वह मोनू दुबे केवल छब्बीस साल का है। वह एक वन्यजीवन से संबंधित है, परंतु वहकोई विश्व स्तर का वन्यजीव फोटोग्राफर या शोधकर्ता या वन अधिकारी नही है। वह वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कोई गैर सरकारी संगठन भी नहीं चलाता, वह "बाघ बचाओ" अभियान के लिए स्वयंसेवक भी नहीं है! वह मध्य प्रदेश में पेंच राष्ट्रीय अभयारण्य की सीमा परस्थित तूरिया नामक गांव में एक छोटे से रिसॉर्ट में एक वन्यजीव यात्रा का आयोजन कर्ता (टुर ऑपरेटर ) करता है। अब, कई लोग कहेंगे कि इसमें बड़ी बात क्या है, देश के विभिन्न जंगलों में मोनू जैसे हजारों युवा हैं और वे वन्यजीवन की यात्राकरवाकर पैसा कमा रहे हैं। आखिर वन्यजीवन पर्यटन खुद ही वन्यजीवों के लिए एक बाधा नही है क्या? बेचारे वन्यजीवों को शांतिपूर्वक जीने दो| न केवल वन्यजीव संवर्धक (अब, वास्तव में इस प्रजाति की कई किस्में हैं), बल्किजिसतंत्र द्वारा वनों की सुरक्षा के लिए काम करने की उम्मीद की जाती है, उदाहरण के लिए, वन विभाग और साथ ही अन्य सारे अधिकारी भी ऐसा ही सोचते हैं। मैं इनमें से किसी को भी दोष नहीं देता, क्योंकि आप अभी भी वन्यजीवों के संरक्षण की अवधारणा को नहीं समझते। मुझे अपने इस कथन पर खेद है, हो सकता है यह थोड़ा धृष्टतापूर्ण लगे। मोनू को जाने दो, क्योंकि आप में से कई लोग वन्यजीव संरक्षण पर टिप्पणी करने के मेरे अधिकार या क्षमता पर संदेह करेंगे, निश्चित रूप से मैं आपको दोष नहीं देता। मैं व्यवसाय से एक आर्किटेक्चरल इंजीनियर, एक बिल्डर हूं, लेकिन क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं कि एक आर्किटेक्चरल इंजीनियर या बिल्डर क्या करता है? मुझे पता है कि इसका उत्तर बहुत ही आसान है, एक आर्किटेक्चरल इंजीनियर इमारतों का निर्माण करता है, घर बनाता है जिससे वन्यजीवों का अधिकतम नुकसान होता है, एक बिल्डर ऐसी इमारतों से पैसा कमाता है। यह 100 प्रतिशत सच है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि यह पृथ्वी पर स्थित सबसे खराब पशु संरक्षण है, हाँ मनुष्यों  पुत्र  के लिए, जिनके लिए ये बिल्डर इन सभी भवनों का निर्माण करते हैं, जिनको ये बिल्डर इन इमारतों को बेचते हैं और पैसा कमाते हैं|अब दोस्तों इसका भी जवाब देते हैं। इसका जवाब है, इंसान इन सभी घरों को खरीदता है, पुलों, उद्योगों और बांधों जैसी संरचनाओं का उपयोग करता है। वे वास्तुविदों द्वारा निर्मित किए जाते हैं जो मानव जाति के संरक्षण में मदद करते हैं। इसलिए यदि विषय संरक्षण का है, तो मुझसे बेहतर टिप्पणी कौन कर सकता है, क्योंकि बाघ, तेंदुआ, लोमड़ी, मेंढक, मछली, राजहंस, चीता(यह सूची अंतहीन है) या मनुष्य कोई भी हो, संरक्षण के नियम हर जगह एक समान होते हैं, उनमें विभिन्न प्रजातियों के लिए पर्याप्त जगह के साथ-साथ थोड़ासा एकांत होना चाहिए, यह एक बहुत ही सरल नियम है, है ना? लेकिन जब यह नियम मनुष्यों के अलावा अन्य प्रजातियों पर लागू होता है, तो यह इतना आसान नहीं होता, क्योंकि अन्य प्रजातियों के पासवास्तुकार, इंजीनियरों, बिल्डरों की सुविधा नहीं होती,अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिए उनके पास विभिन्न उत्पादों का उत्पादन करनेवाले उद्योग-धंधे नही होते, और इसलिए मोनू का काम महत्वपुर्ण और विशेष है !

अब तो आप अधिक ही भ्रमित हो गये होंगे, इसलिए मैं आपको मोनू दूबे का थोड़ा सा परिचय दूंगा और फिर इस थोड़े से अलग लेख का कारण बताऊंगा। यह लगभग आठ साल पहले की बात है, जब मैं पेंच राष्ट्रीय अभयारण्य में जाता था, तब मैंने वहां एक युवा, दुबले-पतले, स्मार्ट लड़के को ड्राइवर के रूप में काम करते देखा। अपनी उम्र की तुलना में वह उत्साह से परिपूर्ण था (पर्यटकों को बाघों को दिखाने के मामले में), और कभी-कभी वह अपने पर्यटकों को बाघों को दिखाने में थोड़ा साहसी भी हो जाता था, और इस साहस के लिए उसे अभयारण्य अधिकारियों से डॉट भी मिलती थी  । लेकिन तब वह सिर्फ अठारह साल का था और उसने जिप्सी चालक के रूप में अपना करियर शुरू ही किया था। उस उम्र में, हम सभी बहुत उत्साही, और साहसी होते हैं, लेकिन मोनू थोड़ा ज्यादा ही बोल्ड था।उसके पास आत्मविश्वास था और वह अपने काम से प्यार करता था|इसलिए नहीं कि उसे इससे पैसे मिलते थे, बल्कि इसलिए कि वह जो कर रहा थावह उसे पसंद आता था, अर्थात लोगों को बाघ दिखाना। अब ज्यादातर लोग इस बात को पसंद नहीं करेंगे क्योंकि वन्यजीव सिर्फ बाघों को देखना नहीं हैं| हाँ मुझे पता है कि इस तथ्य के बावजूद कि जंगल में स्थित हर प्रजाति उतनी ही महत्वपूर्ण है, फिर भी जंगल में 90% लोग बाघों को देखने आते हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है। यहां तक ​​कि अपनी सरकार के पर्यटन विभाग में केवल बाघ पर्यटन ही विज्ञापित (बेचा)किया जाता है। क्योंकि सबसे पहले, मेरी हिसाबसे सही ज़िम्मेदारी शहर के लोगों को जंगल में लाने की है, तभीउनको जंगल पसंद आयेगा और फिर बाद में संरक्षण की बात आयेगी, यही सरल कारण है। इस कारण से, जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं, जो कोई भी पहली बार बाघ जंगलो की सफर करता है, उसे बाघ देखने को मिलनाही चाहिए, ताकि जंगल में नियमित रूप से जाने में उसका प्यार, उत्साह, इच्छा, रुचि, आप उसे जो भी नाम दें, वह कायमरहेगा, बाघ का जादू ऐसा ही है।

मोनू को इस तथ्य के बारे में पता था, और इसलिए पर्यटकों को बाघों को दिखाने के उनके उत्साह को, जो कभी-कभी थोडा बोल्डहो जाता है, मैं गलत नहीं कहता, ज़ाहिर है, तब वह बहुत छोटा था। वर्षों बाद, युवा मोनू ने पहले बाघों की तस्वीरें खींचनी शुरू कीं, फिर साथ-साथ जंगल के अन्य प्रजातियों की तस्वीरें खींचनी शुरू कीं। चूंकि वह इंटरनेट के युग का था, इसलिए बाहरी दुनिया के लोगों को इन तस्वीरों को दिखाने के महत्व को जानता था। इसलिए यदि मैं पेंच नहीं भी जा पाता था, फिर भी फेसबुक के माध्यम से मैं पेंच और मोनू के बारे में नवीनतम जानकारी को प्राप्त करता रहा था। जैसे-जैसे यह लड़का बड़ा हुआ, उसने महसूस किया कि वह केवल जिप्सी चालक के रूप में उस स्थान तक नहीं पहुँच सकता जहाँ वह पहुंचना चाहता है। वह धीरे-धीरे पर्यटकों से दोस्ती करने लगा। इसके लिए वें पेंच में न होने पर भी उनके संपर्क में रहना महत्वपूर्ण था। मोनू के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारणयह संभव हो सका, उसने इस मीडिया का पूरा-पूरा उपयोग किया। पहले वह सिर्फ एक ड्राइवर था, इसलिए यदि उसका रोस्टर सिस्टम में नाम नहीं होता (रोस्टर प्रणाली ड्राइवरों को और गाइड्स को व्यक्तिगत रूप से पर्यटकों की सेवा करने का मौका देती है, ताकि सभी को आमदनी मिलने के लिए आश्वस्त किया जा सके) तो वह जंगल में नहीं जा सकता और यह बात उसकी महत्वाकांक्षा में एक बाधा थी। इसलिए उसने पहले अपनी जिप्सी खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया और फिर अगला कदम अपनी खुद की एक जगह लेना था जहाँ पर्यटक ठहर सकें (यानी होटल या रिसॉर्ट)। मुझे मोनू की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, वह केवल तुरिया (पेंच के प्रवेश द्वार पर स्थित एक गांव) का एक स्थानीय लड़का है इतना ही मालूम है। लेकिन निश्चित रूप से जंगल केतुरिया के प्रवेश द्वार के पास पैतृक भूमि के एक छोटे से हिस्से के अलावा उसके पास कुछ भी नहीं था। निस्वार्थ वन्यजीव प्रेमियों के लिएसबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जंगल के प्रवेश द्वार के पास रहने के लिए एक स्वच्छ स्थान प्राप्त हो सके, क्योंकि इससे जिप्सी के प्रवेश द्वार तक पहुंचना आसान हो जाता है और समय की बचत होती है, और यदि आप सुभ-सुबह जंगल में प्रवेश करते हैं, तो बड़े जानवरों (बाघ, तेंदुए, भालू) के दिखाई देने की अधिक संभावना होती है। क्योंकि वे मुख्य रूप से सुबह के समय ज्यादा गतिविधियाँ करते हैं। उस दृष्टिकोण से, मोनू का रिसॉर्ट बहुत अच्छा है क्योंकि वन्यजीव फोटोग्राफर कोई जादा आराम नहीं चाहते,बल्कि एक सही नजदिकवाल और साफसुथरा ठहरनेका ठीकाना  चाहते हैं। मोनू यह जानता था क्योंकि वह कई वन्यजीव फोटोग्राफरों से मिल चुका था। उसने खुद का रिसॉर्ट शुरू करते समय इस बात को ध्यान में रखा था, यही वजह है कि वह जल्द ही वन्यजीव फोटोग्राफरों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हो गया। भले ही मैं पेंच नहीं गया, फिर भी इनसर्दियों में जब मैंने वहां जाने का फैसला किया, तो मैंने सबसे पहलेमोनू को ही फोन किया। मोनू ने मुझेनागज़ीरा से वापिस लाने, सफारी को आरक्षित करने, और फिरनागपुर हवाई अड्डे पर छोड़ने के लिए बहुत अच्छा नियोजन किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात, उसने समय-समय पर संपर्क करते रहने के महत्व को महसूस किया है। यह विशेषता हमारे देशवासियों, विशेषकर सेवा उद्योग में काम करने वाले लोगों में बहुत कम पाई जाती है। मुझे बहुत खुशी है कि यह युवा लड़का अब बड़ा हो गया है, वह अब हमारे साथ घूमने (सफारी पर) नहीं आ सकता, क्योंकि वह मोबाइल फोन और नेट पर विभिन्न चीजों के प्रबंधन में व्यस्त रहता है। उसे अब सेल फोन या साधारण डिजिटल कैमरों पर तस्वीरें लेने की जरूरत नहीं है। उसके पास अब एक परिष्कृत 300 मिमी से बड़े लेंस वालाकैमरा है और उसने उस पर कुछ बहुत ही बढ़िया तस्वीरें ली हैं। उनमें से एक को सेंचुरी मैगजीन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। एक दर्जन से अधिक कमरों वाला यह रिसॉर्ट बहुत आरामदायक है और इसका अच्छी तरह से रखरखाव किया जाताहै। यह लगभग हमेशा भरा हुआ होता है। मुख्य रूप से, मोनू ने पेंच अभयारण्य के आसपास के गांवों में लगभग तीस युवाओं को रोजगार दिया है।

दोस्तों, मेरे विचार में, यह महत्वपूर्ण नही है कि मोनू के पास कितनी जिप्सियां हैं या उसने एक बढीया रिसॉर्ट बनाया हैं, बल्कि  उसका यह  सफर इसलिए बहुत मूल्यवान है, कि उसने तुरीया के स्थानीय लड़कों को रोजगार दिया हुआ है। पुणे से निकलकर जैसे-जैसे आप मध्य भारत की तरफ जाते हैं, औरंगाबाद, नागपूर को पार करते हुए मध्यप्रदेश तक पहुँचते है, वैसे-वैसे आपको ज्ञात होता जाता है कि प्रत्येक युवक (युवतियों की भी) की इच्छा पुणे या मुंबई आने की होती है, उन्हें लगता है कि  उनके करियर के लिये ये एकमात्र विकल्प बचा हुआ है। ऐसी स्थिति में यह वास्तव में सराहनीय बात है कि इस युवक ने शहरों की जानलेवा प्रतियोगिता में कूदने की बजाय अपनी मातृभूमि में ही रहना और वहीँ विकास करना पसंद किया, यहीं उसको प्रसिद्धि मिली!" यह सचमुच एक प्रशंसनीय बात है...
याफीर कई ग्रामीण युवा सरकारी नौकरी करना चाहते हैं। तथ्य यह है कि कोई भी सरकार सभी लोगों को सरकारी नौकरी प्रदान नहीं कर सकती। और जो फिर पुणे जैसे शहर में भी नहीं जा सकते, या जिन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलती, उनके लिए एकमात्र विकल्प (अधिकांश के लिए) यही बचता है कि स्थानीक स्तर पर   कुछ छोटामोटा काम करना या अवैध व्यापार में लिप्त होना। जब आप पेंच की तरह किसी जंगल के पास रहते हैं, तो आप सभी जानते हैं कि वहां कौनसा अवैध व्यापार चलता है। इन युवाओं के पास जानवरों के शिकार से लेकर पेड़ काटने और अवैध मछली पकड़ने तक कई तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों के विकल्प मौजूद हैं। और दुनिया में ऐसे कई ईन्सान हैं जो इन युवाओं को कुछ पैसे का लालच देकर कानून तोड़ने के लिए मजबूर करते हैं। कई लोग जीवन का यह कड़वा सच बहुत देर बाद महसूस करते हैं कि कानून तोड़ने के बाद फिर से वापस  नॉर्मल जिंदगी में  लौटना मुमकिन नही है। मोनू ने तुरिया, पेंच में जो कर दिखाया है उसी में वन्य जीव संरक्षण का सार छिपा है। केवल यदि जंगल के आसपास रहने वाले लोग जंगल के साथ हंसी-खुशी से रह सकें, तभी तो वे जंगल और जानवरों को बचायेंगे और उन्हें बढ़ाएंगे; इसके लिए आवश्यकता है कि प्रत्येक जंगल में अधिक से अधिक मोनू हों। पुणे या बंगलौर जैसे शहर में बैठकर मोटी तनखाह वाली नौकरी करते हुए, अप-टू-डेट फोटोग्राफी उपकरण प्राप्त करना, सुंदर फोटोग्राफी करना और प्रशंसा प्राप्त करना, अपने आप को एक वन्यजीव प्रेमी या संरक्षक साबित करना आसान है। लेकिन मोनू जैसे युवा वास्तव में जंगल के संरक्षक हैं, क्योंकि वे जंगल के साथ रहने का फैसला करते हैं, वे और जंगल एक साथ रहते हैं। इस तरह की चीजों को न केवल कुछ वन्यजीव प्रेमियों द्वारा, बल्कि सभी राज्यों के वन विभागों, साथ ही "मायबाप" सरकार के जनशक्ति विकास मंत्रालय द्वारा भी सूचित किया जाना चाहिए। क्योंकि हमें एक दिल से वन्यजीवप्रेमी और बुद्धि से व्यावसायिक होने वाला एक उद्यमी चाहिए, यह समय की आवश्यकता है, अन्यथा याद रखें कि यह संरक्षण केवल वन्य संरक्षण कि बाते केवल बातो तक  ही सीमित रहेगी 

मोनू की 20 फरवरी को शादी हो रही है और उसके जीवन का एक नया चरण शुरू हो रहा है, मैं उसे अपने लेख से बेहतर और क्या उपहारदे सकता हूं? मैं उसे यह उपहार बहुत पहले देना चाहता था, लेकिन जैसा कि जंगल में कहा जाता है कि सब कुछ एक निश्चित समय पर होता है,इसलिए मैं इसे अभी लिख रहा हूँ! मोनू तुम्हे बहुत-बहुत शुभकामनाएं, यह तुम्हारे करियर की सिर्फ शुरुआत है। एक बात ध्यान में रखो कि न केवल बाघ, बल्कि हर प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा है, जिसमें मनुष्यों सहित पक्षी, पौधे और जानवर भी शामिल हैं। मैं इतना ही कहूँगा कि आप जैसे लोगों के कारण ही उम्मीद बाकी है!
मोनू दूबे: 09685770170

संजयदेशपांडे
संजीवनीडेव्हलपर्स

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